एरिक हाब्सवाम : मार्क्सवादी परम्परा में वैश्विक पहुँच वाला इतिहासकार
अनुवाद : अमित राय
(यह आलेख डोरोथी
वेडरबरन[1]
द्वारा एरिक हाब्सवाम के मृत्युपूर्व लिखा गया था जिसे मार्टिन केटल[2]
ने संपादित कर एरिक हाब्सवाम के निधन
पश्चात 1 अक्टूबर 2012 को गार्डियन में
छापा| एरिक हाब्सवाम और डोरोथी वेडरबरन को श्रद्धांजली स्वरूप इस लेख का अनुवाद
किया गया है| पाठक इतिहास के उस समय से सीधे जुड सकें इसलिए लेख में उपस्थित
लेखकों और प्रयुक्त शब्दावलियों की जानकारी संक्षेप में फुटनोट में दी गयी है)
यदि एरिक हाब्सवाम (जून 9,1917 – अक्टूबर 1,2012) का निधन 25 वर्ष पूर्व होता तब निधन सूचना उन्हें ब्रिटेन के बेहतरीन
मार्क्सवादी इतिहासकार या लगभग कुछ इसी तरह जैसी पहचान कराती लेकिन 95 वर्ष की उम्र में उनके निधन के समय, हाब्सवाम ने देश के
बौद्धिक जीवन में एक अद्वितीय जगह पा ली थी| अपने अंतिम वर्षों में हाब्सवाम ब्रिटेन
के सर्वाधिक सम्मानित एवं विवादास्पद इतिहासकार हुए,दक्षिण और साथ ही साथ वामपक्ष
के लोग यदि उनका समर्थन नही करते थे तो उन्हें मान्यता अवश्य देते थे,और किसी भी
युग में वे राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर ख्याति पाने वाले मुट्ठी भर इतिहासकारों
में से एक थे| अन्य इतिहासकारों से अलग हाब्सवाम ने या तो मार्क्सवाद के पक्ष में या
मार्क्स के खिलाफ किसी बड़े घृणित तरीके को अपनाए बिना इतनी व्यापक मान्यता प्राप्त
की| 94 वें वर्ष में उनकी किताब ‘हाउ टू चेंज द वर्ल्ड’ प्रकाशित हुई जिसमें
2008-10 में हुए बैंकों के विघटन के परिणामतः मार्क्स की समकालीनता
बनाए रखने को ओजस्वीपूर्ण तरीके से बचाव किया| इससे भी अधिक उनको सर्वाधिक
प्रसिद्धि तब प्राप्त हुई जब आधी से अधिक शताब्दी ऐतिहासिक अव्यवस्था और इससे भी
बुरी स्थिति में थी और ऐसे में उन्होंने अपने लेखन में समाजवादी विचारों और
परियोजनाओं को जीवंत कर दिया जैसे कि वह हमेशा अपने को दृढ़तापूर्वक सचेत रखते थे|
सूक्ष्मदर्शीय तल्लीनता के लिए मशहूर कुछ ही
इतिहासकार ऐसे हुए हैं जिन्होंने इस प्रकार की विशेषज्ञता के साथ या इतने विवरणों
पर एक साथ व्यापक क्षेत्र पर अधिकार किया हो| अपने अंतिम समय में हाब्सवाम ने
स्वयं को 19वीं सदी का आवश्यक
इतिहासकार माना,परन्तु इसका उनका यह अर्थ था कि अन्य शताब्दियाँ भी
अभूतपूर्व रूप से विस्तृत और असाधारण रूप से विश्वव्यापी दोनों ही रही हैं|
भूतकाल में उनकी रूचि का विशुद्ध क्षेत्र और
जो वह जानते थे उस पर उनके असाधारण अधिकार के कारण जो लोग उनसे बात करते थे और जो
उन्हें पढते थे वे उनका आदर करते थे सबसे अधिक उनकी एज ऑफ..... श्रंखला के
चारों संस्करणों को लेकर जिनमे उन्होंने 1789 से 1991 तक के पूंजीवादी इतिहास का आसवन कर दिया| नील एस्केरसन ने
लिखा है कि “हाब्सवाम की विवरणों को संचित करने और सुधार करने की क्षमता उस
पैमाने पर पहुँच चुकी है जिस पैमाने पर सामान्यता बड़े स्टाफ के साथ बड़े
संग्रहालयों की पहुंचती है|” उनके ऐतिहासिक विवरणों का ज्ञान और संश्लेषण करने की
असाधारण शक्ति दोनों ही उन चार संस्करणों की परियोजना में प्रदर्शित हुई है वह
निश्चित ही अद्वितीय थी|
मार्क्स का अध्ययन
हाब्सवाम का जन्म 1917 में
अलेक्सान्द्रिया में हुआ,वह इतिहासकारों के साम्राज्य के लिए एक अच्छा स्थान और
साम्यवादियों के लिए एक अच्छा वर्ष था| यह उनकी ब्रिटेन में दूसरी पीढ़ी थी,वे पुलिस
यहूदी के पोते थे जो संदूक बनाते थे,वे 1870 में इंग्लैंड आये| उनके आठ पुत्र थे जिनमें एरिक के पिता
लियोपोल्ड शामिल थे उनका जन्म इंग्लैंड में हुआ था और सभी ने जन्म से ही ब्रिटिश
नागरिकता ले रखी थी| (हाब्सवाम के अंकल हैरी अपने समय के दौरान
पैडिंगटन के पहले मजदूर मेयर हुए)
परन्तु एरिक का ब्रिटिश होना उसकी सामान्य
पृष्ठभूमि नही थी| उनके एक अन्य अंकल सिडनी पहले विश्व युद्ध के पूर्व इजिप्ट गए
और वहाँ लिओपोल्ड (एरिक के पिता) के लिए शिपिंग कार्यालय में एक नौकरी खोजी| 1914 में वहाँ लिओपोल्ड हाब्सवाम की मुलाक़ात नैली ग्रुएन से
हुई,वियना के मध्यमवर्गीय परिवार की युवती जो अपने स्कूल की पढाई पूरी करने पर
पुरूस्कार स्वरुप मिली इजिप्ट यात्रा के अपने ट्रिप पर आयी थी,वहां दोनों आकर्षित
हो गए परन्तु युद्ध होने के कारण दोनों अलग हो गए| इस जोड़े ने 1916 में स्विटज़रलैंड में शादी कर ली,इजिप्ट लौटकर 1917 में उनके प्रथम पुत्र एरिक का जन्म हुआ|
“हर इतिहासकार का अपना जीवन होता है,एक निजी आधार होता है जिससे वह विश्व का
सर्वेक्षण करता है|” यह उन्होंने 1993 के क्रेगहाटन
व्याख्यान में कहा,उनके बाद के वर्षों के कई अवसरों में से एक में जब उन्होंने
अपने जीवन को अपने लेखन से सम्बंधित करने का प्रयास किया उन्होंने कहा कि “मेरी स्थिति निर्मित हुई है अन्य भौतिक पदार्थों के बीच, बचपन से १९२० में
वियना में,बर्लिन में हिटलर के उदय के वर्ष,जिसने मेरी इतिहास में रूचि और राजनीति
निर्धारित की और इंग्लैंड विशेषकर 1930 के कैम्ब्रिज, दोनों ने इसे स्थाई किया|”
1919 में युवा परिवार वियना में बसने के लिए लौट आया जहाँ एरिक
प्राथमिक स्कूल गया,एक कालखंड जिसे बाद में 1995 के टेलीविजन
वृतचित्र में याद किया गया,जिसमे एक दुबले पतले किशोर वियनीस हाब्सवाम को हाफपैंट
और घुटनों तक मोजों में एक तस्वीर में दर्शाया गया है| इस समय राजनीति भी चारों ओर
अपना प्रभाव बना रही थी| एरिक की पहली राजनैतिक स्मृति 1927 में वियना की थी,जब कामगारों ने न्याय के महल को जला दिया
था| उनकी पहली राजनैतिक बातचीत जो वह याद करते हैं वह भी अल्पाइन आरोग्य निवास में
इन्ही वर्षों में ही हुई| वहां दो माता सदृश्य यहूदी महिलायें लियोन ट्राटस्की के
बारे में बात कर रही थी| ‘कहो तुम्हे क्या
पसंद है’ एक ने दूसरे से कहा, ‘परन्तु वह एक
यहूदी लड़का है जिसे ब्रोंश्तीन कहा जाता है|’ 1929 में अचानक हुए हृदयाघात में उनके पिता की मृत्यु हो
गयी,उसके दो वर्षों के बाद ही उनकी माँ की मृत्यु भी टी.बी. से हो गयी| एरिक तब 14 के थे और उनके अंकल सिडनी ने एक बार फिर उनकी जिम्मेदारी
संभाली,वे एरिक और उसकी बहन नैन्सी को लेकर बर्लिन में रहने लगे| वीमर बर्लिन
गणराज्य में बतौर किशोर हाब्सवाम अपरिहार्य रूप से राजनैतिक हो गए,उन्होंने पहली
बार मार्क्स को पढ़ा और साम्यवादी हो गए|
हाब्सवाम जनवरी 1933 के ठण्ड के दिनों को हमेशा याद करते हैं जब हेलेंसी एस-वाँ
स्टेशन जो उनके स्कूल के रास्ते में पड़ता था वहाँ से प्रिंज हेनरिक जिम्नेजियम तक
एक समारोह मनाया गया,उन्होंने वहां एक अखबार के शीर्षक को देखा जिसमे हिटलर के
चांसलर बनने की घोषणा थी| इस दौरान वे समाजवादी स्कूल व्वायज में शामिल हुए जिसे
वह ‘साम्यवादी आंदोलन के वास्तविक हिस्से’ के रूप में स्वयं को व्याख्यायित करते हैं और अपने प्रकाशन स्कूल कैम्फ
(स्कूल संघर्ष) को बेचते थे| वह अपने बिस्तर के नीचे संगठन का अनुलिपित्र
(डुप्लीकेटर) रखते और जब भी बाद में सुविधा होती थी वह कोई निर्देश लिख देते
थे,संभवतः उन्होंने अधिकतर लेख भी लिखे| उनका परिवार बर्लिन में 1933 तक ही रहा और जब सिडनी हाब्सवाम की नियुक्ति इंग्लैंड में हो गयी, तब उनके अंकल
इंग्लैंड चले गए|
1934 में लमछड किशोर
लड़का अपनी बहन के साथ एजवेयर में बस गए बाद में उन्होंने इसको बतौर ‘सम्पूर्ण यूरोपीय और जर्मन भाषी’ के रूप में
व्याख्यायित किया| यद्यपि स्कूल उनके लिए समस्या नही था क्योंकि जर्मन अंग्रेजी शिक्षा
व्यवस्था से बहुत ऊँची थी| बाल्हम में उनके एक चचेरे भाई ने पहली बार ‘जैज’ संगीत से उनका परिचय कराया,उसे उन्होंने ‘लाजवाब ध्वनि’ कहा| उन्होंने 60 साल बाद लिखा कि
वह उनके मन परिवर्तन का क्षण था जब उन्होंने पहली बार ड्यूक एलिंगटन[3]
के बैंड के सर्वोत्तम प्रदर्शन को सुना| किसी भी चीज की सम्पूर्ण संतुष्टि तब तक
नही होती जब तक कि उस पर पूरा स्वामित्व न हो,संगीत से उन्होंने यही ग्रहण किया|
हाब्सवाम ने 1950 के समय को न्यू स्टेट्समेन में बतौर जैज
आलोचक व्यतीत किया और इस विषय पर 1959 में फ्रेंसिस
न्यूटन उपनाम से ‘द जैज सीन’ पेंगुइन विशेषांक को प्रकाशित किया| (कई वर्षों बाद वह
पुनः जारी हुई और हाब्सवाम की पहचान बतौर लेखक हुई)
पहली बार ठीक से अंग्रेजी बोलना सीखने के
लिए,एरिक मेरीलेवोन ग्रामर स्कूल के शिष्य बने और 1936 में उन्होंने किंग्स
कॉलेज की छात्रवृत्ति अर्जित की,वहां उनका कमरा एक सीढ़ी पर था जिस पर दो पड़ोसी
ए.ई.हाउसमेन और लुडविग विट्गेस्टीन रहते थे| यह वह समय था जिसमे उसके कैम्ब्रिज के
साम्यवादी मित्रों के बीच यह कहना सामान्य था कि ‘क्या ऐसा कुछ है
जिसे हाब्सवाम नही जानता है?’ वह पौराणिक
केम्ब्रिज धर्मप्रचारक के सदस्य बने, 40 सालों बाद
उन्होंने लिखा कि “हम सभी सोचते थे कि 1930 का संकट पूंजीवाद
का निर्णायक संकट था|” परन्तु बाद में उन्होंने जोड़ा कि ‘ऐसा नही था’| जब युद्ध समाप्त हुआ, हाब्सवाम बौद्धिक स्तर के कार्यों
के लिए स्वयंसेवी बने जैसे कि अन्य साम्यवादियों ने भी किया| परन्तु उनकी राजनीति
जो कभी भी गुप्त नही थी,वह अस्वीकृति की रही | वह 560 फील्ड कंपनी में
विचित्र सफरमैना (खंदक खोदने वाले सैनिक) बने, जिसे बाद में उन्होंने ‘पूर्वी एंग्लिया के किनारे पर अधिकार के खिलाफ कुछ प्रत्यक्ष अपर्याप्त
सुरक्षा के लिए प्रयासरत काम करने वाली एक इकाई’ के रूप में
व्याख्यायित किया| यह भी अक्सर एक अलग प्रतिभासंपन्न बौद्धिक के लिए एक रचनात्मक
अनुभव था| उन्होंने लिखा है कि ‘उस समय ब्रिटेन के
लिए और उन लोगों के लिए कुछ महान हो रहा था| उस युद्ध के समय के अनुभव ने मुझे
ब्रिटिश श्रमिक वर्ग में रूपांतरित कर दिया,वे लोग स्काट और वेल्स की तरह चालाक
नही थे परन्तु वे बहुत अच्छे लोग थे|’
हाब्सवाम की शादी उनकी पहली पत्नी म्युरिएल
सीमेन से 1943 में हुई| युद्ध के बाद कैम्ब्रिज लौटकर
हाब्सवाम ने कुछ अलग चुना,उन्होंने फेबियन लोगों पर शोध के पक्ष में उत्तरी
अफ्रीकन कृषकों के सुधारों के लिए अपने डाक्टरेट करने की योजना का परित्याग कर
दिया| यह मोड था जिसने 19वीं शताब्दी के
पूरे जीवन के अध्ययन और वामपंथ की समस्याओं के साथ अंतहीन तन्मयता,दोनों की ओर
उनके लिए दरवाजे खोले| 1947 में उन्हें बतौर
इतिहास के व्याख्याता बर्कबेक कॉलेज लन्दन में पहली सेवा अवधि की नौकरी मिली जहाँ
उन्हें अपने शैक्षणिक जीवन के लिए अधिक समय मिला|
शीत युद्ध के प्रारम्भ के साथ,एक बहुत अच्छे
ब्रिटिश अकादमिक मैककार्थीइज्म[4]
होने का अर्थ था कि उनकी कैम्ब्रिज की लेक्चररशिप जिसकी हाब्सवाम की बेहद इच्छा थी,
वह साकार नही हो सकी| वह कैम्ब्रिज और लन्दन के बीच बस गए,वे प्रधान संगठनकर्ताओं में
और कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहासकारों के समूह की चालक शक्तियों में से एक थे
जिन्होंने वहाँ एक चमकती बुनियादी अकादमी बनायी जो युद्ध के बाद के समय के अधिकतर
विशिष्ट इतिहासकारों में से कुछ को एक साथ लायी| इसके सदस्यों में क्रिस्टोफर
हिल,रोडनी हिल्टन,ए.एल.मार्टन,ई.पी.थाम्पसन,जॉन सेविले और बाद में राफेल सैमुएल भी
शामिल हुए| कम्युनिस्ट पार्टी इतिहासकार समूह जिसके बारे में 1978 में एक अधिकारिक निबंध में उन्होंने लिखा कि इस समूह ने इसके
अलावा जो भी उपलब्धि हासिल की हो लेकिन बतौर बड़े ऐतिहासिक लेखक निश्चित रूप से
उसके पहले के कई क़दमों को एक केंद्र प्रदान किया है|
पहली किताब
हाब्सवाम की पहली किताब “लेबर्स टर्निंग पॉइंट” 1948 में प्रकाशित हुई,यह किताब फेबियन युग के दस्तावेजों का
संग्रह थी जो संपादित की गयी थी,यह सांस्थानिक रूप से कम्युनिस्ट प्रभावी युग से
सम्बंधित थी| हाब्सवाम शुरुआती औद्योगिक क्रान्ति के आर्थिक परिणामों के बारे में
एक बार आयोजित वाद विवाद ‘स्टैण्डर्ड
ऑफ लिविंग’ में शामिल होकर जैसे तर्क रखते हैं वैसे ही इस किताब में, वे और
आर.एम.हार्टवेल[5]
इकोनोमिक हिस्ट्री रिव्यू के सफल
अंकों के अपने तर्कों को रखते हैं | भूतकाल और वर्तमान काल के जर्नल की स्थापना,खासकर
यदि वह पूरी तरह से स्वतंत्र हो और साथ ही
इतिहासकार समूह की धरोहर, आदि भी इस समय से सम्बंधित है|
हाब्सवाम ने कभी भी कम्युनिस्ट पार्टी को
नही छोड़ा और वे स्वयं को हमेशा ही अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन के हिस्से की
तरह ही सोचते थे,कईयों के लिए यह उनके लेखन को अंगीकार करने में अलंघ्य बाधाओं की
तरह लगा,फिर भी वह हमेशा पार्टी के भीतर की श्रेणी में लायसेंसी फ्री थिंकर की तरह
रहे| 1956 में हंगरी के बाद के घटना चक्र ने कम्युनिस्ट पार्टी को तोड़कर
रख दिया और कई बौद्धिक समूह पार्टी छोड़कर
चले गए तब वह प्रतिरोध की आवाज़ थे जो तब भी बची रही|
अब तक उनके समकालीन क्रिस्टोफर हिल[6]
जिन्होंने इस समय कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ दी थी उनका साथ,1956 का राजनैतिक आघात और दूसरी और अंतिम खुशनुमा शादी की शुरुआत
इन सभी ने सम्मिलित रूप से कुछ अर्थों में उनके एतिहासिक लेखन के काल को हितकर
बनाया और प्रोत्साहित किया और इसी कार्य ने उनकी प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा को
स्थापित किया| 1959 में उनका पहला बड़ा कार्य ‘प्रिमिटिव
रेबेल्स’ प्रकाशित हुआ जो दक्षिणी यूरोपियन ग्रामीण गुप्त समाजों और
सहस्राब्दिक संस्कृति के बारे में था विशेषकर उस समय का यह एक असाधारण वास्तविक
वृतांत था (वह अब तक भी इस विषय के बारे में लिख रहे थे हाल ही में 2011 तक)| वह इन विषय वस्तुओं की ओर एक बार फिर एक दशक के बाद ‘कैप्टेन
स्विंग’ में लौटे, कैप्टेन स्विंग 19वीं सदी के
प्रारंभ में इंग्लैंड में ग्रामीण प्रतिरोध का व्याख्यात्मक अध्ययन था जिसमें इनके
सहलेखक जार्ज रयुड[7]
थे, और ‘बैंडिटस’ संश्लेषण के
प्रयास की एक अत्यधिक व्यापक सीमा वाली रचना थी| ये कार्य याद दिलाते हैं कि
हाब्सवाम यूरोपियन और ब्रिटिश हिस्टीरियोग्राफी के मध्य एक सेतु और 1968 के बाद के ब्रिटेन में सामाजिक इतिहास के अध्ययन की
उल्लेखनीय शुरुआत के अग्रदूत,दोनों ही थे| इस समय हालांकि हाब्सवाम के पहले कार्य
प्रकाशित हो चुके थे जिन पर उनकी प्रसिध्दि और अकादमिक प्रतिष्ठा दोनों ही अवस्थित
थी| उनके कुछ महत्वपूर्ण निबन्धों का संकलन ‘लेबरिंग मेन’ 1964 में आया (यह वर्ल्ड ऑफ लेबर का 20 साल बाद आने वाला दूसरा संकलन था)| परन्तु ‘इंडस्ट्री और
एम्पायर’(1968) हाब्सवाम के ब्रिटेन और औद्योगिक क्रान्ति पर किये गए अधिकतर कार्यों का सम्मोहक
संकलन था और यही वह कार्य था जिसने उन्हें सर्वोच्च सम्मान दिलाया| 30 सालों से भी अधिक समय तक यह आउट ऑफ प्रिंट रहा|
‘द एज ऑफ’ श्रंखला
फिर भी लंबे समय के लिए जो अधिक प्रभावी रही वह थी ‘द एज ऑफ श्रंखला’
जिसकी शुरुआत उन्होंने ‘एज ऑफ रिवोलूशन : 1789-1848’ से की और यह पहली
बार 1962 में प्रकाशित हुई| इसके बाद 1975 में ‘एज ऑफ केपिटल : 1848-1875’ और 1987 में ‘एज ऑफ
एम्पायर : 1875-1914’ आयी| चौथा
संस्करण ‘द एज ऑफ एक्सट्रीम : 1914-1991’ सभी में अनोखा और
सैद्धांतिक था, परन्तु कुछ मायनों में अत्यधिक विशिष्ट और उत्कृष्ट था,यह 1994 में आया जो इसी क्रम को विस्तारित करता था|
चारों संस्करणों ने हाब्सवाम की उत्कृष्ट
क्षमता को प्रस्तुत किया,विस्तार को किस्सों की तरह कहकर और आंकड़ो पर पकड़ से
सम्मिलित किया,घटनाओं और शब्दों की विशेषता और सूक्ष्म भेद की सावधानी और
उपर्युक्त सभी ने, संश्लेषण की शक्तियों को अद्वितीय कर दिया (द्वितीय संस्करण की सबसे पहले
पृष्ठ पर 19वीं सदी के मध्य के पूंजीवाद का पारंपरिक
सारांश जिस बेहतर तरीके से दिखाया गया है वैसा अन्यत्र कहीं नही है)| उन्होंने
लिखा कि वे “फ्रेंच में जिसे ‘होउते वल्गाराईजेशन’ (अति सामान्यीकरण) कहते हैं”
का एक उदाहरण थे (इससे उनका अर्थ आत्मनिंदा नही था) और एक समीक्षक के शब्दों
में “वे शिक्षित अंग्रेजों के मानसिक परिष्कार के हिस्से” हुए|
हाब्सवाम की पहली शादी 1951 में टूट गयी थी| 1950 के दौरान उनका
सम्बन्ध दूसरी जगह हो चुका था जिसके परिणामस्वरूप उनके प्रथम पुत्र जोशुआ बेनाथान
का जन्म हुआ,परन्तु बच्चे की माँ शादी करना नही चाहती थी| 1962 में उन्होंने मार्लिन स्कुइर्ज़ से दूसरी शादी की,यह समय
आस्ट्रियाई अपकर्ष का समय था| वे हैम्पस्टीड चले गए और वेल्स में उन्होंने दूसरा
छोटा सा घर खरीद लिया,उनके दो बच्चे थे एंडरीव और जूलिया |
1970 में अपने समय के
लेखक के बतौर बढ़ती प्रतिष्ठा के द्वारा हाब्सवाम की प्रसिद्धि बतौर इतिहासकार साथ
साथ चल रही थी,हालांकि वह कम्युनिस्ट पार्टी के केन्द्रीय अनुशासन के इतिहासकार थे
लेकिन हाब्सवाम के बौद्धिक उत्कर्ष ने एक तरह की स्वतंत्रता दी जिसने साम्यवाद की
कठोर आलोचना के सम्मान की जीत भी दिलायी,इसिया बर्लिन[8]
की तरह| इसने उन्हें ध्यान दिए जाने योग्य पुरूस्कार भी निश्चित किया वह यह कि फिर
कभी सोवियत संघ में हाब्सवाम की कोई पुस्तक प्रकाशित नही हुई| इसलिए उन्हें
सशस्त्र और सुरक्षित भी किया गया,हाब्सवाम का दायरा वाम की शर्तों के परे
निर्भीकता का था,अधिकतर यह कम्युनिस्ट पार्टी के मासिक ‘मार्क्सिज्म टुडे’
के पन्नों में,जिसमे बढते गैर पारंपरिक प्रकाशनों के कारण वह देवता सदृश्य हो गए|
इटली के मार्क्सवादी और अब राष्ट्रपति
जिओर्जिओ नेपोलिटेनो[9]
के साथ इन वर्षों हुई बातचीत बतौर ‘इटालियन
रोड टू सोशलिज्म’ नाम से प्रकाशित हुई| परन्तु उनके सर्वाधिक प्रभावी लेखन के केंद्र में यूरोपियन
श्रमिक आंदोलन के प्रति बढ़ता भरोसा था| उनका मानना था कि श्रमिक आंदोलन जिस पर कि
कब्जा किया जा चुका था उसे शुरुआती मार्क्सवादियों ने रूपांतरण करने की जो भूमिका
दी थी उसमे रूपान्तरण की वह क्षमता मौजूद थी| ये समझौता विहीन संशोधनवादी लेख एक
सामान्य शीर्षक ‘द फारवर्ड मार्च ऑफ लेबर हाल्टेड’ के तहत संकलित किये गए|
1983 में जब नील किनोक[10]
अपने चुनावी भाग्य की गहराई के चलते श्रमिक पार्टी के नेता हुए उस समय हाब्सवाम का
प्रभाव कम्युनिस्ट पार्टी से परे दूर और श्रमिकों में भी गहरे तौर पर विस्तार लेना
शुरू कर चुका था| किनोक ने सार्वजनिक रूप से हाब्सवाम के प्रति उसके ऋण को स्वीकार
किया और किसी व्यक्ति द्वारा लिए गए साक्षात्कार में उन्होंने हाब्सवाम को उनके ‘सबसे
पसंदीदा मार्क्सवादी’ की तरह व्याख्यायित किया| यद्यपि हाब्सवाम उस पार्टी के
नए आकार ‘न्यू लेबर’ की अधिकतर बातों को मजबूती से नापसंद करते थे,जिसमे उन्होंने
अन्य चीजों के बीच जैसे ऐतिहासिक कायरता देखी,हाब्सवाम बिना किसी प्रश्न के 1990 के संशोधनवाद के श्रमिकों की बढ़ती रूढीभंजकता के एकमात्र
सर्वाधिक प्रभावी बौद्धिक अग्रदूत थे|
1998 में उनकी
प्रतिष्ठा को रेखांकित किया गया जब टोनी ब्लेयर ने उन्हें सम्मानित किया, उसके कुछ
महीनो बाद हाब्सवाम ने अपना 80 वां जन्मदिन
मनाया| उसके उद्धरण में, डाऊनिंग स्ट्रीट[11]
ने हाब्सवाम के जारी प्रकाशित कार्यों के बारे में कहा कि “उन्होंने इतिहास और
राजनीति में समस्याओं को संबोधित किया जिसने पुनः उभरकर यूरोप की आत्मसंतुष्टि को
भंग किया|”
अंतिम वर्ष
अपने बाद के वर्षों में,हाब्सवाम ने अपनी
व्यापक प्रतिष्ठा और सम्मान का आनंद लिया| उनके 80 और 90 वें जन्मदिन समारोह में ब्रिटेन के उदारवादी बौद्धिकों और
वे जो उनके वामपक्ष के थे सभी शामिल हुए| बाद के पूरे वर्षों के दौरान,उन्होंने
निबन्धों के संस्करणों को प्रकाशित करना जारी रखा,इसमें ‘ऑन हिस्ट्री’(1997) और ‘अनकॉमन
पीपुल’(1998) शामिल थे,ये ऐसे कार्य थे जिनमें डिजी गिलेस्पी[12]
और साल्वाटोर[13]
ने हाब्सवाम की स्थायी जिज्ञासाओं को धरोहर के रूप में एक सूची में प्राकृतिक रूप
से व्यवस्थित किया है| एक बहुत सफल आत्मकथा ‘इंट्रेस्टिंग टाइम्स’ 2002 के बाद आयी और 2007 में ‘ग्लोबलाईजेशन,डेमोक्रेसी
एंड टेरोरिज्म’ आयी|
संभवतः अपने जीवन के किसी अन्य समय की बजाय
अपनी चरम वृद्धावस्था में उन्हें अधिक प्रसिद्धि मिली,इसमें उन्होंने नियमित रूप
से प्रसारण किया,कई जगहों पर व्याख्यान दिए और ‘हे साहित्यिक उत्सव’ के नियमित
परफार्मर रहे,बाद में वे 93 वर्ष की आयु में
वे कार्नहिल के लार्ड विनघम की मृत्यु के बाद उसके अध्यक्ष भी बने| 2010 के अंत में उनके स्वास्थ्य में गंभीर रूप से गिरावट आई जिसने
उनकी गतिशीलता को घटा दिया परन्तु उनकी बौद्धिक शक्ति और संकल्पशक्ति अपराजेय
रही,जितना योगदान उन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में किया, उसके लिए उनकी
पत्नी मार्लीन के प्रयासों ,उनके प्रेम और उनकी पाक कला को धन्यवाद दिया जाना
चाहिए|
उनके लेखन ने एक ही समय में इस तरह के
श्रोताओं पर अधिकार करना जारी रखा जिनकी राजनीति किन्हीं कारणों से निस्तेज हो गयी
थी और जिनके लिए यह एक प्रकार के विलगाव का समय था जिनमे क्रुद्ध और उत्तेजित
दक्षिणपंथी थे,परन्तु बौद्धिक तृप्ति की छोटी सी आत्मसंतुष्टि के कुशाग्र निर्णय पर
यह एक विरोधाभास था| बाद के कई वर्षों में ई.एम.फ़ोर्सटर[14] को उद्धृत करना पसंद करते थे “वह विश्व की
उपेक्षा के अपने दृष्टिकोण पर हमेशा खड़ा रहा|” चाहे यह उद्धरण हाब्सवाम के
बारे में अधिक कहे या विश्व के बारे में, उनमे कुछ था कि वह विवादों का आनंद लेते
थे,वह ज्ञान पर भरोसे का मजा लेते थे और कुछ अर्थों में यह सब उनके लिए एक पाठ की
तरह था|
ये वेडफोर्ड कॉलेज में प्राचार्य थी जो लन्दन विश्वविद्यालय का हिस्सा था,रोयल
होलोवे कॉलेज जो विश्वविद्यालय का एक अन्य कॉलेज था, को समाहित कर देने के बाद ये
सम्मिलित संस्थानों की प्राचार्य रहीं हैं| 1940 में वे
कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुई परन्तु 1950 के अंत तक अपनी
सदस्यता समाप्त कर ली, हालांकि श्रमिक आंदोलन तक वे पार्टी में बनी रही,वह हमेशा
हाब्सवाम के बौद्धिक विश्व का हिस्सा रही हैं,हाब्सवाम से 15 दिन पूर्व 20 सितम्बर 2012 को उनकी मृत्यु हुई|
[2]
मार्टिन कैटल:- एक
ब्रिटिश पत्रकार और लेखक,विशिष्ट कम्युनिस्ट सक्रिय कार्यकर्ता अर्नाल्ड कैटल के
पुत्र (जिन्हें उनकी बेहतर साहित्यालोचना के लिए याद किया जाता
है) कैटल ने नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबरटी के लिए बतौर शोध
अधिकारी 1973 से कार्य किया| वह गार्डियन में 1984 से हैं और निरंतर ‘मार्क्सिज्म
टुडे’ में भी लिखते रहे हैं|
कैटल को बेहतर रूप से गार्डियन में स्तंभ
लेखन के लिए जाना जाता है जहां वह सह संपादक हैं और 1997-2001 तक वाशिंगटन डी.सी. के ब्यूरो चीफ रहे| मार्टिन कैटल ने
अपने लेखन में अधिकतर न्यू लेबर और टोनी ब्लेयर (उनके व्यक्तिगत मित्र) का बचाव
किया परन्तु ईराक युद्ध के बाद नहीं|
ये महान अमरीकन कम्पोसर,पियानिस्ट और
बिग्बैंड लीडर थे,इन्होने 1000 कम्पोजीशन लिखे|
मैककार्थीइज्म, एक तरह का व्यवहार है जिसमे बिना समुचित प्रमाणों के
विश्वासघात,उच्छेदन या देशद्रोह का दोषारोपण किया जाता है| इसे यू.एस.में ‘सेकण्ड रेड स्केयर’ के नाम से भी
जाना जाता है| इसका प्रयोग 1950 से 1956 तक किया गया| इस व्यवहार के तहत अमरीकन संस्थानों में
कम्युनिस्टों के बढते हुए प्रभाव का भय दिखाया जाता है और उन्हें सोवियत एजेंट आदि
कहा जाता था| वास्तविक रूप से इस तरह के व्यवहार
के द्वारा सबसे पहले एंटी कम्युनिस्ट आलोचना जो रिपब्लिकन यू.एस.सीनेटर
जोसेफ मैककार्थी द्वारा की गयी इसलिए इसे मैककार्थीइज्म कहा गया| मैककार्थीइज्म ने
बहुत जल्द एक व्यापक अर्थ ले लिया, जिसमे इसी तरह के
प्रयासों का विस्तार शामिल था| यह शब्द सामान्यतः लापरवाह,अतात्विक दोषारोपणों के
लिए भी किया जाता रहा है|
ये आस्ट्रेलियन प्रभाव वाले ब्रिटिश औद्योगिक
क्रान्ति के इतिहासकार और आर्थिक इतिहास के प्रोफेसर थे| वह 1960 से 1968 तक इकोनोमिक
हिस्ट्री रिव्यू के संपादक रहे, उनके ‘इकोनोमिक हिस्टरी
रिव्यू’ में छपे लेख ‘द राइजिंग
स्टैण्डर्ड ऑफ लिविंग इन इंग्लैंड’1800-1850 ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया| हार्ट वेल का दृष्टिकोण था कि औद्योगीकरण ने
ग़रीबों का सुधार किया है जो प्रचलित मत के विपरीत था, यह
एरिक के लिए उल्लेखनीय था कि इसने उन्हें ग़रीबों पर औद्योगिकीकरण के प्रभावों से
हुई क्षति का तनाव दिया|
वे इंग्लिश मार्क्सवादी इतिहासकार थे,परन्तु
कम्युनिस्ट पार्टी में लोकतंत्र की कमी से असंतुष्ट रहते थे,यद्यपि 1956 में हंगरी पर आक्रमण के बाद उन्होंने अन्य बौद्धिकों की
तरह पार्टी को नही छोड़ा परन्तु 1957 के अंत में जब
पार्टी कांग्रेस ने उनकी रपट खारिज की तब उन्होंने पार्टी छोड़ दी|
जार्ज रयुड ब्रिटिश मार्क्सवादी इतिहासकार थे विशेषकर फ्रेंच क्रान्ति और
हिस्ट्री फ्राम विलो के समय में खासकर इतिहास में भीड़ के महत्त्व के समय| इन्होने
अपनी विशिष्ट कृति ‘द क्राउड इन द
फ्रेंच रिवोलूशन’ लिखी जिसने बाद
में क्लासिक का दर्जा पा लिया|
ये सामाजिक और राजनैतिक
सिद्धांतकार,दार्शनिक और विचारों के इतिहासकार थे|वे एरिक के दोस्त थे एरिक उनसे
प्रभावित थे खासकर उनकी अंग्रेजी के गद्य से क्योंकि अंग्रेजी के गद्यों के माध्यम
से वे लोगों से जुड पाते थे| इन्ही से प्रेरित होकर उनका अंग्रेजी सीखने का मन बना
| ईसिया बर्लिन ने इवान तुर्गनेव के कार्यों का अनुवाद रसियन से अंग्रेजी में किया
और युद्ध के दौरान ब्रिटिश कूटनीतिक सेवा के लिए कार्य किया|
ये इटालियन राजनैतिज्ञ थे जो २००६ में
इटालियन गणराज्य के 11वें राष्ट्रपति बने| लंबे समय तक इटालियन
कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य और बाद में डेमोक्रेट्स ऑफ लेफ्ट रहे| वह इटालियन
कम्युनिस्ट पार्टी के पहले सदस्य थे जो राष्ट्रपति बने| 1996 से 1997 तक आंतरिक मामलों के मंत्री भी रहे|
ब्रिटिश लेबर पार्टी के नेता,जो 1970 से 1995 तक सांसद रहे| 1983 से1992 तक लेबर पार्टी
के नेता और नेता प्रतिपक्ष रहे, वे ब्रिटिश
राजनीति के इतिहास में सबसे लंबे समय तक नेता प्रतिपक्ष रहने वाले नेता रहे|
[11] डाउनिंग स्ट्रीट लन्दन में है जिसमे दो ब्रिटिश कैबिनेट मंत्रियों के सरकारी आवास
स्थित हैं पहला यूनाइटेड किंगडम के
प्रधानमंत्री का और दूसरा आर्थिक विभाग के चांसलर का|
ये महान अमरीकन जैज तुरही बजाने वाले,बैंड
के लीडर,कम्पोसर और कभी कभी गायक भी रहे|
ये सिसीलिया के किसान थे,अलगाववादी और कुछ
श्रोतों के अनुसार डाकू भी रहे| उनकी तुलना लोग लोकप्रिय संस्कृति में राबिनहुड से
करते थे| सिसीलिया स्वतंत्रता आंदोलन के सदस्य के रूप सक्रिय रूप से भाग लिया|
उनकी कहानी ने मीडिया को व्यापक रूप से आकर्षित किया,1950 में ‘टाइम पत्रिका’ ने भी उन्हें जगह दी|
ये अंग्रेजी उपन्यासकार,लघुकथा
लेखक,निबंधकार और गीत नाट्यकार थे| उन्हें 20 वीं सदी के
ब्रिटिश समाज में पाखण्ड और वर्गभेद के मूल्यांकन करने वाले व्यंग और बेहतर
पृष्ठभूमि के उपान्यासकार के लिए जाना जाता है| उनकी कृति ‘ए पैसेज टू इंडिया’(1924) ने उन्हें महान
सफलता दिलायी|
सहायक
प्रोफेसर,डी-11,गांधी हिल्स,वर्धा,09422905719