Friday, July 5, 2013

मार्क्स का प्रतिशोध : कैसे वर्ग संघर्ष विश्व को रूपायित कर रहा है

मार्क्स का प्रतिशोध : कैसे वर्ग संघर्ष विश्व को रूपायित कर रहा है
·          अनुवाद : अमित राय
( माइकल शुमैन का यह लेख टाइम्स पत्रिका में 25 मार्च 2013 को प्रकाशित हुआ था)
कार्ल मार्क्स को मृतप्राय और दफ़न किया हुआ माना जा चुका था,सोवि़यत संघ के विघटन और पूंजीवाद की ओर चीन की महान उछाल के साथ साम्यवाद, जेम्सबांड की फिल्मों के  पिछले परदे के दृश्य की तरह  या किम योंग के मन्त्रों की तरह  क्षीण हो गया | मार्क्स जिसमे विश्वास करते थे कि “वर्ग संघर्ष इतिहास के क्रम से निर्धारित होता है”,वह मुक्त व्यापार और मुक्त उद्यमों के समृद्ध युग में गायब होता दिखा | वैश्वीकरण की दूर तक पहुँचने की शक्ति ने,इस ग्रह के अधिकाँश सुदूर कोनों को वित्त के लाभप्रद बंधनों में जोड़ने,आउट-सोर्सिंग और सीमारहित उत्पादन के माध्यम से, सिलिकान वैली के तकनीकी गुरुओं से लेकर चीन के खेतों में काम करने वाली लड़कियों तक, सभी को अमीर होने के पर्याप्त अवसरों को उपलब्ध कराया | बीसवीं सदी के बाद के दशकों में एशिया शायद मानव इतिहास में गरीबी में कमी लाने के असाधारण रिकार्ड का गवाह बना इसका आभार उद्योग के पूंजीवादी औजारों,उद्यमशीलता और विदेशी निवेश को जाता है| पूंजीवाद अपने प्रत्येक को धन और कल्याण की नयी उंचाईयों पर पहुंचाने के वादे - को पूरा करता हुआ प्रकट हुआ है |
            दीर्घकालिक संकट में वैश्विक अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी,ऋण और स्थिर आय से पूरे विश्व के मजदूरों पर बोझ बढ़ा है,मार्क्स की पूंजीवाद की तीखी आलोचना कि इस व्यवस्था में अन्याय और आत्मघात अन्तर्निहित है को आसानी से खारिज नही किया जा सकता | मार्क्स ने सिद्धांत दिया कि पूंजीवादी व्यवस्था अनिवार्य रूप से व्यापक जन को कंगाल बना देगी, जैसा  कि विश्व का धन कुछ लालची अमीर लोगों के हाथों में संचित हुआ है, इसके कारण आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ है और कामगार वर्गों और अमीरों के बीच संघर्ष बढ़ गया है | मार्क्स ने लिखा है कि “एक ध्रुव पर धन संचय है तो इसके विपरीत दूसरे ध्रुव पर ठीक इसी समय दुखों,मेहनत की घोर व्यथा,दासता,उपेक्षा,पाशविकता,मानसिक अपकर्ष का संचय है.”
            इस तरह के प्रमाणों की बढ़ती फ़ाइलें संकेत करती हैं कि वह(मार्क्स) सही हो चुका है | यह सभी को दुखी करता है कि इस तरह के सांखिकीय आंकड़ों को पाना बहुत आसान है जो दिखाते हैं कि अमीर और अधिक अमीर हो रहे हैं जबकि मध्य वर्ग और गरीब नहीं | वाशिंगटन में इकोनोमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ई.पी.आई.) के सितम्बर अध्ययन ने नोट किया कि पूर्णकालिक पुरुष श्रमिक की वार्षिक कमाई का औसत 2011 में यूनाईटेड स्टेट में 48,202 डालर था,यह 1973 से काफी कम था | ई.पी.आई.ने गणना की कि 1983 और 2010 के बीच यू.एस. में धन में 74% की वृद्धि हुई जोकि 5 प्रतिशत अमीरों के पास गया जबकि निचले 60 प्रतिशत धन की कमी से परेशान हुए |  चीन, एक मार्क्सवादी देश जो मार्क्स की ओर लौटा, वहाँ यू रोंगजुन मार्क्स के दास कैपिटल पर संगीत आधारित रचना के लिए विश्व की घटनाओं द्वारा प्रेरित हुए | नाटककार कहता है कि आप इन घटनाओं की  वास्तविकताओ  को इस पुस्तक में व्याख्यायित घटनाओं से मिला सकते हैं ”|
            यह नही कहा जा सकता कि मार्क्स सम्पूर्णता में सही थे | उनकी “सर्वहारा की तानाशाही” ने ठीक से काम नही किया जैसा कि योजना में था | परन्तु इस व्यापक असमानता के परिणाम ठीक वही हैं जो मार्क्स ने अनुमान लगाया थे  कि: वर्ग संघर्ष वापस आ गया है,विश्व के मजदूरों की  नाराजगी बढ़ रही है और वे वैश्विक अर्थव्यवस्था में उनके न्यायोचित हिस्से की मांग कर रहे हैं | यू.एस.कांग्रेस के फर्श से लेकर एथेंस की गलियों तक,दक्षिणी चीन की असेम्बली रेखा तक, पूंजी और श्रम के बीच बढते तनाव जो कि बीसवीं सदी की कम्युनिष्ट क्रांति तक में नही देखे गए थे उन तनावों से राजनैतिक और आर्थिक घटनाएं आकार ले रहीं हैं | यह संघर्ष अंत तक किस प्रकार चलेगा यह वैश्विक आर्थिक नीति की दिशा को,कल्याणकारी राज्य के भविष्य को,चीन में राजनैतिक स्थिरता को और कौन वाशिंगटन से रोम तक शासन करता है इसको प्रभावित करेगा | मार्क्स आज क्या कहते? “कुछ परिवर्तन : जैसा मैंने आपसे कहा वैसे ही” न्यूयार्क में एक नए स्कूल के मार्क्सवादी अर्थशास्त्री रिचर्ड वोल्फ कहते हैं . “आय का अंतर एक स्तर का ऐसा तनाव उत्पन्न कर रहा है जैसा मैंने अपने जीवन काल में कभी नही देखा.”
            यू.एस. में आर्थिक वर्गों के बीच तनाव साफ़ तौर पर उभार पर हैं. समाज वहां दो भागों में, 99 % (नियमित लोक और इसे प्राप्त करने के लिए संघर्षरत लोगों) और 1% (आपस में जुड़े हुए और विशेषाधिकार प्राप्त अत्यधिक अमीर जो प्रतिदिन अमीर हो रहे हैं ऐसे लोगों) में विभक्त महसूस करता रहा है. पेव रिसर्च सेंटर के  पिछले वर्ष जारी सर्वेक्षण में, दो तिहाई लोग विश्वास करते थे कि यू.एस. अमीर और गरीब के बीच “मजबूत” या “बहुत मजबूत” संघर्ष से परेशान है | इसमें 2009 से महत्वपूर्ण 19% की वृद्धि हुई है,और इसकी स्थिति समाज में प्रथम श्रेणी जैसी है |
            अमरीकन राजनीति में यह उच्च संघर्ष,प्रभावी हो चुका है | समर्थकों का संघर्ष इस पर कि राष्ट्र के बजट घाटे को कैसे स्थिर किया जाए के ऊपर बड़ी मात्रा में वर्ग संघर्ष हो चुका है| जब कभी राष्ट्रपति बराक ओबामा बजट अंतराल को बंद करने के लिए धनी अमरीकियों पर टैक्स बढाने की बात करते है,रूढ़िवादी चीख आती है कि वह अधिकाँश के खिलाफ “वर्ग युद्ध” शुरू करने जा रहा है | फिर भी रिपब्लिकन उनके अपने कुछ वर्ग संघर्ष में  शामिल हैं | जी.ओ.पी. की प्रभावी वित्तीय स्वास्थ्य के लिए योजना सामाजिक सेवाओं में कटौती के द्वारा मध्य और गरीब वर्गों पर पड़ने वाले भार के समायोजन को ऊपर उठाती है| ओबामा के  दुबारा राष्ट्रपति पद के चुनाव के अभियान का बड़ा हिस्सा रिपब्लिकन को मजदूर वर्ग के प्रति असंवेदनशील बताने पर आधारित था | जी.ओ.पी. नामित मिट रोमनी ने राष्ट्रपति पर आरोप लगाया कि उनके पास यू.एस. अर्थव्यवस्था के लिए केवल “एक बिंदु की योजना” थी “विभिन्न नियमों के समुच्चयों के द्वारा लोक को सबसे ऊपर लाने के लिए सुनिश्चित करने की”|
            हालांकि बीच में वाक्पटुता थी, फिर भी यह संकेत है कि नया अमरीकन वर्गवाद राष्ट्र की आर्थिक नीति पर वाद विवाद में परिवर्तित हो गया है | चारों ओर फैली अर्थव्यवस्था जो आग्रह करती है कि १% की सफलता ९९% को लाभ देगी,वह अब भारी छानबीन के तहत आ चुकी है | डेविड मेडलैंड, सेंटर फार अमरीकन प्रोग्रेस के निदेशक,वाशिंगटन आधारित थिंक टैंक, विश्वास करते हैं कि 2012 के राष्ट्रपति अभियान ने मध्य वर्ग के पुनर्निर्माण पर और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न आर्थिक एजेंडा के लिए खोज पर नया फोकस किया है. “अर्थव्यवस्था के बारे में सोचने के सभी तरीके उसके मस्तिष्क को खोल रहे हैं.” वह कहते है. “मैं समझता हूँ कि यह जो हो रहा है यह आधारभूत परिवर्तन है.”
            नए वर्ग संघर्ष की उग्रता फ्रांस में अधिक स्पष्ट है| मई अंत में, वित्तीय संकट और बजट में कटौती के कष्ट ने अमीर-गरीब के विभाजन को कई सामान्य नागरिकों के लिए पूर्णतः स्पष्ट कर दिया, उन्होंने समाजवादी पार्टी के फ्रेनकोइस होलांदे को वोट किया जो एक बार घोषित कर चुके थे: “मैं अमीर को पसंद नही करता.” उन्होंने अपने शब्दों को सिद्ध किया | उनकी जीत की कुंजी फ्रांस के कल्याणकारी राज्य को बनाए रखने के लिए अमीरों से अधिक कर निकालने के लिए किया गया प्रण अभियान था |
            खर्चों में सख्त कटौतियों से बचने के लिए यूरोप में अन्य योजनाकारों ने बजट घाटों की चौडी दरार को बंद करने के लिए संस्थापन किया | होलांदे ने आयकर दर की मूल्य वृद्धि अधिक से अधिक 75% करने की योजना बनाई.यद्यपि देश की संवैधानिक समिति ने इस विचार को खत्म कर दिया,होलांदे ऎसी ही सामान कार्यवाही को लाने के लिए रास्तों की योजना बना रहे हैं | इसी समय होलांदे ने सरकार के जनसाधारण की ओर वापसी की आलोचना की,उन्होंने उनके पूर्वाधिकारी द्वारा लिए गए फ्रांस की सेवानिवृत्ति की आयु बढाने के अलोकप्रिय निर्णय को कुछ मजदूरों के लिए वास्तविक 60 वर्ष पर घटाकर बदल दिया | फ्रांस में कई लोग होलांदे को आगे ले जाना चाहते हैं | कार्लोते वाउलेंगर, एन.जी.ओ. के विकास कर्मचारी कहते हैं कि “सरकार द्वारा स्वीकार्य पूंजीवाद के वर्तमान स्वरूप में होलांदे के टैक्स प्रस्ताव को प्रथम चरण में रखना पडेगा, वर्तमान स्वरूप बहुत ही अनुचित और दुष्क्रियात्मक हो चुका है,वह गहरे सुधार के बिना अंतर्स्फुटन का जोखिम उठाएगा”|
            हालांकि उसकी युक्तियाँ पूंजीवादी वर्ग से एक प्रतिकूल प्रतिक्रिया को ज्वलित कर रही है| माओत्से तुंग  ने आग्रह किया कि “राजनैतिक सत्ता का रास्ता बन्दूक की नली से निकलता है” परन्तु विश्व में जहाँ दास केपिटल अधिक और अधिक गतिशील है वर्ग संघर्ष के हथियार बदल चुके हैं | होलांदे पर ध्यान देने की बजाय,फ्रांस के कुछ धनी देश को छोडकर बाहर जा रहे हैं अपने साथ अत्यधिक रोजगार जरूरतों और निवेशों को लेकर|  ऑन लाइन रिटेलर पिक्स्मानिया डॉट कॉम के संस्थापक जीन-इमाइल रोसेंब्लम यू.एस. में अपने जीवन और नए साहस का विन्यास कर रहे हैं.जहाँ वह महसूस करते हैं कि वहां की जलवायु व्यावसायियों के लिए अनुकूल नही है| “वर्ग संघर्ष का बढ़ना किसी भी आर्थिक संकट का सामान्य परिणाम है,परन्तु उसमे होने वाला राजनैतिक शोषण जनोत्तेजक और भेदमूलक हो चुका है” रोसेनब्लम कहते हैं कि “हमें उद्यमियों पर आश्रित रहने के बजाय कंपनियों और नौकरियों को पैदा करने की जरुरत है,फ्रांस उन्हें दूर जाने को उकसा रहा है”|
            चीन में अमीर गरीब का भेद अधिक अस्थिर है| विडंबनात्मक रूप से ओबामा और कम्युनिष्ट चीन के नए आये राष्ट्रपति जी जिनपिंग,एक जैसी चुनौती का सामना करते हैं| तीव्र हो रहा वर्ग संघर्ष केवल ऋण अधीन औद्योगिक विश्व में केवल धीमी वृद्धि की फिनामिना नही है, यहाँ तक कि तीव्र गति से विस्तारित उभरते बाजारों में,अमीर और गरीब के बीच का तनाव योजनाकारों के लिए प्राथमिक संबद्धता वाले हो रहे हैं| इसके विपरीत कि जो कई असंतुष्ट अमरीकी और यूरोपियन विश्वास करते हैं कि चीन मजदूरों के लिए स्वर्ग नही है | “लोहे के चावल का कटोरा” (iron rice bowl) माओ का युग जीवन के लिए मजदूरों की नौकरी की गारंटी का व्यवहार करता है ऐसा  मानना माओवाद के साथ ही क्षीण हो गया और पुनर्सुधार युग के दौरान तक ही ,मजदूरों के पास कुछ अधिकार थे | फिर भी हालांकि चीन के शहरों में मजदूरी की आय भरपूर बढ़ रही है, अमीर गरीब अंतराल अतिशय चौड़ा हुआ है | एक अन्य पी.ई.डब्लू. अध्ययन उद्घाटित करता है कि चीन में किये गए लगभग आधे सर्वेक्षण मानते हैं कि अमीर गरीब भेद एक बडी समस्या है,जबकि 10 में से 8 इस प्रस्ताव पर सहमत हैं कि “चीन में अमीर और अधिक अमीर,और गरीब और अधिक गरीब हुए हैं”|
            चीन की फैक्ट्री वाले शहरों में नाराजगी क्वथनांक (पानी के उबलने का तापमान, 100 डिग्री ) के स्तर पर पहुँच रही है | शेन जेन के दक्षिण औद्योगिक एन्क्लेव में फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर पेंग मिंग कहते हैं कि “बाहर के लोग हमारे जीवन को बहुत उदारतापूर्वक देखते हैं परन्तु फैक्ट्री में वास्तविक जीवन बहुत ही अलग है” | काम करने के अधिक घंटे,बढ़ती कीमतें,उदासीन मैनेजर और अक्सर देर से होने वाले वेतन के भुगतान की समस्याओं का सामना कर रहे हैं,मजदूर सच्चे सर्वहारा की तरह आवाज़ देना शुरू कर रहे हैं | एक अन्य शेन झेन फैक्ट्री का कर्मचारी गुयान गुओ हाउ कहते हैं  “अमीर मजदूरों के शोषण के रास्ते अमीर हो रहे हैं.” “साम्यवाद वह है जिससे हम आशा लगा रहे हैं.” वे कहते हैं कि यदि सरकार उनके कल्याण के सुधार के लिए बड़े कार्य नही करती है तब मजदूर स्वयं ही उनके लिए कार्य करने के लिए अधिक और अधिक तत्पर होंगे. “मजदूर और अधिक संगठित होंगे” पेंग अनुमान करते है. “सभी मजदूरों को एक होना चाहिए”|
            ऐसा पहले ही हो रहा है.चीन में मजदूरों की बेचैनी के स्तर को राह पर लाना कठिन है,परन्तु विशेषज्ञ विश्वास करते हैं कि यह उभार हो चुका है | फैक्ट्री मजदूरों की नयी पीढ़ी अपने माता पिता की बजाय अधिक  जानकारी रखते हैं,इसके लिए इंटरनेट का आभार बेहतर मजदूरी और कार्य करने की शर्तों के लिए अपनी मांगों के बारे में अधिक स्पष्टवादी हो चुकी है| जहाँ तक देखा जाए तो सरकार की प्रतिक्रिया मिश्रित है | योजनाकार आय को बढाने के लिए न्यूनतम मजदूरी बढ़ा चुके हैं, मजदूरों को अधिक सुरक्षा देने के लिए श्रम क़ानून कड़े कर दिए हैं और कुछ मामलों में,उन्हें हड़ताल की अनुमति भी दी जा चुकी है परन्तु सरकार अब तक भी स्वतंत्र मजदूर सक्रियतावाद को हतोत्साहित करती है और यहाँ तक कि अक्सर शक्ति का इस्तेमाल करती है| इस तरह की युक्तियाँ चीन की सर्वहारा को सर्वहारा की तानाशाही से बचाती है | गुयान कहते हैं कि “सरकार हमारी बजाय कंपनियों के बारे में अधिक सोचती है”| यदि झी अर्थव्यवस्था में सुधार नही करते हैं जिससे कि सामान्य चीनी व्यक्ति को राष्ट्र की वृद्धि से अधिक लाभ मिले, तो वह सामाजिक अशांति के लिए ईधन डालने का काम करेंगे.”
मार्क्स ने ठीक इसी तरह के परिणामों का अनुमान किया था. जैसे सर्वहारा उनके सामूहिक वर्ग हितों को लेकर सचेत होते हैं,वे अन्यायपूर्ण पूंजीवादी व्यवस्था को पराजित कर चुके हैं और इसकी नयी व्यवस्था समाजवादी  कल्पनालोक से हटा चुके  हैं | साम्यवादी “खुलकर घोषणा करते हैं कि उनकी लक्ष्य प्राप्ति सभी विद्यमान सामाजिक स्थितियों को केवल बलपूर्वक हटाकर ही की जा सकती है” ऐसा मार्क्स ने लिखा. “सर्वहारा के पास खोने के लिए उसकी बेड़ियों के सिवा कुछ भी नही है”| ऐसे कई संकेत हैं कि विश्व के मजदूर बड़े तौर पर अपने कमजोर लक्षणों के साथ असहिष्णु हो रहे हैं | दसों हजार लोगों को मैड्रिड और एथेंस जैसे शहरों की गलियों में ले लिया गया, जो एक जैसी बेरोजगारी के खिलाफ प्रतिरोध कर रहे थे और उनका आत्मसंयम  इस बात का अनुमान बताता है कि मामले और भी बदतर बन रहे हैं |
                        हालांकि,मार्क्स की क्रान्ति को अभी भी मूर्त रूप देना बाक़ी है | मजदूरों की समस्याएं एक जैसी हैं,परन्तु वे इनके समाधान के लिए एक दूसरे से बंध नही रहे हैं,उदाहरण के लिए यू.एस. में यूनियन सदस्यता आर्थिक संकट के कारण लगातार घट रही है,जबकि वाल स्ट्रीट को अधिग्रहीत करने का आंदोलन विफल हो चुका था | जैक रेंसियरे, पेरिस विश्वविद्यालय में मार्क्सवाद के विशेषज्ञ,कहते हैं कि प्रदर्शनकर्ता पूंजीवाद को हटाने को लक्षित नही कर रहे हैं,जैसा कि मार्क्स ने अनुमान लगाया था,परन्तु मात्र उसमे सुधार के लिए लक्षित कर रहे हैं,वह व्याख्या करते हैं कि “हम इस जगह पर सामाजार्थिक व्यवस्था के विनाश या उसे उखाड फेंकने के लिए वर्गों के आह्वान के लिए प्रतिरोध नही देख रहे हैं | आज जो वर्ग संघर्ष प्रस्तुत हो रहा है वह निर्धारित व्यवस्थाओं के लिए आह्वान है ताकि वे निर्मित धन के पुनर्वितरण के द्वारा लंबी दौड के लिए जीवनक्षम और टिकाऊ हो”|
                        इस तरह के आह्वानो के बावजूद,यद्यपि,वर्तमान आर्थिक नीति वर्ग तनाव में ईधन डालना जारी रखती है. चीन में,वरिष्ठ कर्मचारी आय अंतराल को कम करने के लिए वैतनिक दिखावटी प्रेम कर रहे हैं परन्तु व्यवहार में वे सुधारों से कतरा रहे हैं (भ्रष्टाचार से लड़ने,वित्तीय क्षेत्र के उदारीकरण) जिससे कि वे कुछ हासिल कर सकते हैं | यूरोप में कर्जों के बोझ तले दबी सरकारों ने कल्याणकारी कार्यक्रमों में भारी कमी कर दी है जबकि बेरोजगारी बढ़ चुकी है और वृद्धि भी कम हो गयी है | अधिकतर मामलो में, पूंजीवाद को दुरुस्त करने के लिए चुने गए समाधानों से और अधिक पूंजीवाद आ चुका है | रोम,मेड्रिड और एथेंस के नीति निर्माताओं पर मजदूरों के लिए विखंडित सुरक्षा के लिए बांड धारकों और अनियमित घरेलू बाजारों द्वारा दबाव डाला जा रहा है | ब्रिटिश लेखक ओवेन जोन्स अपनी रचना काव्स : द डिमोनाइजेशन आफ द वर्किंग क्लास,में इसे “ऊपर से किया गया वर्ग युद्ध” कहते हैं |
                        वहाँ रास्ते में अपने मत पर बने रहने के लिए बहुत कम ही कुछ है | वैश्विक श्रम बाजार के उदय ने पूरे विकसित विश्व के यूनियनों के दांतों को तोड़कर रख दिया है | राजनैतिक वाम को मारग्रेट थेचर और रोनाल्ड रीगन के मुक्त बाजार के आक्रमण से दक्षिण की ओर घसीटा गया,उसने एक विश्वसनीय वैकल्पिक विषय की युक्ति निकाली| “आभासी रूप से सभी प्रगतिशील या वामपंथी दलों ने वित्तीय बाजारों के उदय और उन तक पहुँच के कुछ बिंदुओं का योगदान किया और इसे सिद्ध करने के क्रम में कल्याणकारी व्यवस्था की वापसी की कि वे सुधार करने में सक्षम थे” रेंसियर नोट करते हैं. “मैंने कहा था कि श्रम या समाजवादी पार्टियां या सरकारों के आसार कहीं भी महत्वपूर्ण रूप से पुनर्विन्यस्त हो रहे हैं बहुत कम विचार से वर्तमान आर्थिक व्यवस्था को अत्यधिक कमजोर करने के लिए”|

                        यह एक खुली भयावह संभावना छोडता है : कि मार्क्स ने न केवल पूंजीवाद के दोषों का निदान किया परन्तु उन दोषों के परिणामों का भी निदान किया| यदि योजनाकार उचित आर्थिक अवसरों  को निश्चित करने के लिए नयी विधियों की  खोज नहीं करते,तब विश्व के मजदूर एकताबद्ध हो सकते हैं,तब मार्क्स उसका प्रतिशोध ले सकता है|   
(यह आलेख अभिनव कदम २९ के मई अंक  में प्रकाशित  हो चूका है